भारत के शक्तिपीठ
दोस्तों मैं R.K. आज अपने ब्लोग्ग के माध्यम से आज आप लोगों के सामने भारत में घुमाने की जगहों
को लेकर हाज़िर हुआ हूँ आप सभी जानते हैं की इस समय भारत के अधिकाँश विद्यालय
ग्रीष्म अवकाश के चलते बंद हैं यही समय होता है जब अधिकतर लोग घुमने का कार्यक्रम
बनाते हैं पर समस्या अक्सर ये आती है की घुमने जाया कहाँ जाए क्योंकि भारत में कुछ
एक सेट स्थानों के अलावा लोगों को जानकारी नहीं है की कहाँ जाया जाये अधिकतर लोग
पहाड़ों के नाम पर माता वैष्णो देवी जाने का रुख करते हैं पर इस गर्मी के मौसम में
वहां भी ठण्ड का एहसास नहीं होता है हमारे विचार अधिकतर धार्मिक होते हैं तो इसलिए
कहीं भी जाने का कार्यक्रम बनाते समय अक्सर हम लोग ऐसा कार्यक्रम बनाते हैं जिससे
घुमने का घूमना भी हो जाए और तीर्थ का तीर्थ भी.
भारत में धार्मिक पर्यटन का बहुत महत्त्व है
भारत के घरेलु पर्यटन व्यसाय को बढ़ने में धार्मिक पर्यटन की अहम् भूमिका है भारत
में हमलोग अपने पुरे परिवार के साथ ही कहीं घूमने जाने का कार्यक्रम बनाते हैं
जिसमें हमारे परिवार के बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी लोग शामिल होते हैं तो ऐसी जगह
का चुनाव किया जाता है जिस जगह परिवार के हर मेम्बर की रूचि हो ऐसे में परिवार के
बुजुर्ग व्यक्ति से सलाह ली जाती है जिसमें अक्सर किसी धार्मिक क्षेत्र का नाम आता
है फिर उस स्थान को चलने की व्यस्था की जाती है.
दोस्तों आज में आप को भारत के शक्तिपीठों के
बारे में बताऊंगा
शक्तिपीठ क्या हैं मैं आपको संक्षेप में इसका
परिचय दे देता हूँ, अपने पिता राजा दक्ष के हवन में जब माता सती ने अपने पति
भगवान् शंकर के अपमान से खिन्न हो कर हवन कुंड में कूद कर अपने प्राण त्यागे थे
उसके पश्चात भोले शंकर माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर तीनो लोक में विचरण कर
रहे थे तो भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के पार्थिव शरीर को
खंडित कर दिया था जिसकारण माता के शरीर के हिस्से जिन स्थानों पर गिरे वो स्थान
शक्तिपीठ कहलाये.
माँ भगवती के कुल ५१ शक्तिपीठ हैं जिनमें से
अधिकतर भारत में हैं और कुछ बंटवारे के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश में चले गए
हैं जिनका विवरण मैं आगे दूंगा.
दोस्तों
मैं R.K. आज आपके लिये बंगाल के शक्तिपीठों की जानकारी लेकर उपस्थित हुआ हूँ. जैसा
की हम लोग जानते हैं की बंगाल शक्ति उपासना का एक प्रमुख केंद्र रहा है. इसीलिए
मैं सर्वप्रथम बंगाल के शक्तिपीठों का विवरण आपके सम्मुख रख रहा हूँ. आशा करता
हूँ की ये जानकारी आपके लिए ज्ञानवर्धक होगी.
बंगाल के शक्तिपीठ
कलिका:-
कोलकाता पूर्वी भारत का महानगर और पश्चिम बंगाल
राज्य की राजधानी है गंगा जिसको यहाँ हुगली कहा जाता है इसके तट पर बसे इस नगर में
भगवती के कई स्थान हैं कलि कालीघाट स्थित काली मंदिर शक्तिपीठ के रूप में
सर्वमान्य है यहाँ माता सती के दाहिने पैर की चार उंगलियाँ गिरी थी यहाँ शक्ति के
रूप में ‘कालिका’ और भैरव ‘नकुलीश’ हैं. यहाँ महाकाली की भव्यमूर्ति विराजमान है
मंदिर के समीप ही नकुलीश महादेव का मंदिर बना हुआ है. गंगा तट पर ही दक्षिनेश्वेर
कलि जी का एक प्रसिद्ध भव्य मंदिर है. यहाँ राम कृष्णा परमहंस जी ने देवी जगदम्बा
की आराधना की थी.
युगाधा:-
वर्धमान जंक्शन से लगभग ३२ किलोमीटर दूर
क्षीरग्राम में यह शक्तिपीठ स्तिथ है. यहाँ माता सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा
था यहाँ की शक्ति ‘ भूतधात्री’ और भैरव ‘क्षीरकंटक’ हैं.
त्रिस्त्रोता:-
जलपाईगुड़ी जिले के बोदा नामक स्थान पर शालवाडी
ग्राम है यहाँ तीस्ता नदी के तट पर देवी का प्रसिद्ध मंदिर है. यहाँ देवी का बायाँ
चरण गिरा था. यहाँ की शक्ति ‘भ्रामरी’ और भैरव ‘ ईश्वर’ हैं
बहुला:-
बहुला हवडा से १४४ किलोमीटर दूर कटवा जंक्शन के
पास केतु ग्राम में स्तिथ है यहाँ माता की बायीं भुजा गिरी थी. यहाँ की शक्ति का
नाम ‘ बहुला’ और भैरव का नाम ‘ भीरुक’ है.
वक्त्रेश्वर:-
ओंडाल जंक्शन सेंथिया लाइन पर ओंडाल से लगभग ३५
किलोमीटर दुरी पर दुब्राजपुर स्टेशन है इस स्टेशन के पास कई गरम जल के झरने हैं इन
झरनों के नजदीक ही कई शिव मंदिर भी हैं बाकेश्वर नाले के तट पर होने के कारण यह
स्थान बाकेश्वर या वक्त्रेश्वर कहलाता है यह शक्तिपीठ सेंथिया जंक्शन से १२
किलोमीटर की दुरी पर शमशान भूमि में स्तिथ है यहाँ का मुख्य मंदिर बाकेश्वर या वक्त्रेश्वर
शिव मंदिर है यहाँ पापहरण कुण्ड है. यहाँ देवी का मन गिरा था यहाँ की शक्ति ‘
महिषमर्दिनी’ और भैरव ‘वक्त्रनाथ’ हैं.
नलहटी:-
यह शक्तिपीठ बोलपुर शांति निकेतन से ७५ किलोमीटर
और सेंथिया जंक्शन से मात्र ४२ किलोमीटर दूर हैं नलहटी स्टेशन से ३ किलोमीटर की
दूरी पर एक ऊँचे टीले पर स्तिथ है. यहाँ देवी के शरीर की उदरनाली गिरी थी. यहाँ की
शक्ति ‘कालिका’ और भैरव ‘योगीश हैं.
नन्दीपुर’:-
सेंथिया जंक्शन से थोड़ी दूर पर नन्दीपुर नामक
स्थान मैं एक बड़े से वटवृक्ष के नीचे देवी का मंदिर है यह ५१ शक्तिपीठों मैं से एक है यहाँ देवी का कंठहार गिरा था.
यहाँ की शक्ति ‘नन्दिनी’ और भैरव ‘ नंदिकेश्वर’ हैं
अट्टहास:-
यह शक्तिपीठ वर्दमान से ९३ किलोमीटर दूर
कटवा-अहमदपुर लाइन पर लाबपुर स्टेशन के पास है यहाँ देवी का नीचे का होंठ गिरा था
यहाँ की शक्ति ‘फुल्लरा’ और भैरव ‘ विश्वेश’ हैं.
किरीट:-
यह शक्तिपीठ हावडा- बरहरवा रेलवे लाइन पर हावडा
से करीब ढाई किलोमीटर दूर बडनगर के पास गंगा तट पर स्तिथ है. यहाँ देवी देह से
किरीट नामक शिरोभूषण गिरा था यहाँ की शक्ति ‘विमला’, ‘भुवनेशी’ और भैरव ‘संवर्त’
हैं.
यशोर:-
वर्तमान में बांग्लादेश में स्थित है यह
शक्तिपीठ यह खुलना जिले के जैशौर शहर में स्थित है यहाँ देवी की बायीं हथेली गिरी
थी यहाँ की शक्ति ‘ यशोरेश्वरी’ और भैरव चन्द्र हैं.
चटटल:-
यह शक्तिपीठ भी बांग्लादेश में स्थित है यह
चटगाँव से ३८ किलोमीटरदूर सीता कुण्ड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर भवानी
मंदिर के रूप में स्तिथ है चंद्रशेखरशिव का भी यहाँ मंदिर है यहाँ हर शिवरात्रि पर
मेला लगता है यहाँ देवी के देह की दाहिनी भुझा गिरी थी यहाँ की शक्ति ‘ भवानी’ और
भैरव ‘चंद्रशेखर’ हैं.
करतोयातट:-
यह शक्तिपीठ भी बांग्लादेश में ही स्थित है
लालमनीरहाट- संतहाट रेलवे लाइन पर बोंगाडा स्टेशन से ३२ किलोमीटरदूर भवानीपुर
ग्राम मैं स्थित है यहाँ देवी का बायाँ तल्प गिरा था यहाँ की शक्ति ‘अपर्णा’ और
भैरव ‘वामन’ हैं.
विभाष:-
यह शक्तिपीठ बंगाल के मिदनापुर जिले के ताम्रलुक
में है यहाँ रूपनारायण नदी के तट पर वर्गभीमा का मंदिर ही शक्ति पीठ है मंदिर
अत्यंत प्राचीन है कुडा स्टेशन से २४ किलोमीटर दूर यह स्थान है यहाँ माता सती का
बायाँ टखना गिरा था यहाँ की शक्ति ‘कपालिनी’, ‘भीमरूपा’ तथा भैरव ‘सर्वानन्द’ हैं
सुगंधा:-
यह शक्तिपीठ वर्तमान में बांग्लादेश में है यहाँ
जाने के लिए खुलना से बारीसाल तक स्टीमर से जाया जाता है बारीसाल से २१ किलोमीटर
दूर शिकारपुर गाँव में सुगंधा (सुनंदा) नदी के तट पर उग्रतारा देवी का मंदिर है
यहाँ देवी की नासिका गिरी थी यहाँ की शक्ति ‘सुनंदा’ और भैरव ‘त्रयम्बक’ हैं.
जय माता दी - जय माता दी
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